क्या आप जानते हैं कंप्यूटर कौन सी भाषा को पढता है अगर नहीं तो इस पोस्ट में हमने कंप्यूटर भाषा ( Computer Language ) से संबंधित नोट्स अपलोड कर दिया है जिन्हें आप आसानी से पढ़कर याद कर सकते हैं बहुत सारी प्रतियोगी परीक्षाएं ऐसी है जिनके सिलेबस में कंप्यूटर विषय शामिल है और वहां से बहुत बार कंप्यूटर भाषा से प्रश्न पूछ दिए जाते हैं इसलिए इस टॉपिक को अच्छे से जरूर पढ़ें एवं याद कर ले
कंप्यूटर भाषा ( Computer Language )
● मनुष्य को एक दूसरे से बातचीत करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा ही एक संचार का माध्यम है, इसी प्रकार कम्प्यूटर एक मशीन है और मशीन से बातचीत करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है।
● भाषा के माध्यम से डेटा, सूचनाएँ, आचार-विचार एवं भावनाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या मानव से कम्प्यूटर के मध्य वार्तालाप के लिए भी भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा के द्वारा कम्प्यूटर में प्रोग्राम व सॉफ्टवेयर बनाए जाते हैं।
भाषाओं के प्रकार
कम्प्यूटर पर कई प्रकार की भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, इन भाषाओं को मुख्यत: दो भाषाओं में वर्गीकृत किया गया है-
● निम्न स्तरीय भाषा
● उच्च स्तरीय भाषा
● जिन भाषाओं को केवल कम्प्यूटर समझता है, उसे निम्न स्तरीय भाषा एवं जिन भाषाओं को मानव के द्वारा समझा जाता है, उसे उच्च स्तरीय भाषा कहते हैं।
निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)
● वह भाषाएँ जो अपने संकेतों को मशीन संकेतों में बदलने के लिए किसी भी अनुवादक को सम्मिलित नहीं करता, उसे निम्न स्तरीय भाषा कहते हैं अर्थात् निम्न स्तरीय भाषा के कोड को किसी तरह से अनुवाद करने की आवश्यकता नहीं होती है। मशीनी भाषा तथा असेम्बली भाषा इस भाषा के दो उदाहरण हैं लेकिन इनका उपयोग प्रोग्राम में करना बहुत ही कठिन है। इसका उपयोग करने के लिए कम्प्यूटर के हार्डवेयर के विषय में गहरी जानकारी होना आवश्यक है। यह बहुत ही समय लेता है और त्रुटियों की सम्भावना अत्यधिक होती है। इनका संपादन उच्च स्तरीय भाषा से तेज होता है। ये दो प्रकार की होती है-
1. मशीनी भाषा (Machine Language)
2. असेम्बली भाषा (Assembly Language)
1. मशीनी भाषा (Machine Language)
● मशीनी भाषा (Machine language) वह भाषा होती है जिसमें केवल 0 और 1 दो ही अंकों का प्रयोग होता है। यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा होती है, जिसे कम्प्यूटर सीधे-सीधे समझ लेता है, मशीनी भाषा बाइनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं। 0 और 1 चूँकि कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात् 0 और 1 को ही समझता है और कम्प्यूटर का सर्किट यानी परिपथ इन बाइनरी कोड को पहचान लेता है और इसे विद्युत संकेतों (Electrical signals) मे परिवर्तित कर लेता है। इसमें 0 का मतलब low या Off है और 1 का मतलब High या On।

2. असेम्बली भाषा (Assembly Language)
● असेम्बली भाषा में निर्देश अंग्रेजी के शब्दों के रूप में दिए जाते हैं, जैसे की MOV, ADD, SUB आदि, इसे “mnemonic code” (निमोनिक कोड) कहते हैं। मशीनी भाषा की तुलना में असेम्बली भाषा को समझना सरल होता है लेकिन जैसा की हम जानते हैं कि कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है और यह सिर्फ बाइनरी कोड को समझता है, इसलिए जो प्रोग्राम असेम्बली भाषा में लिखा होता है, उसे मशीनी स्तरीय भाषा में अनुवाद करना होता है। ऐसा Translator जो असेम्बली भाषा को मशीन भाषा में Translate करता है, उसे असेम्बलर कहते हैं।
उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)
● उच्च स्तरीय भाषा कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमे अंग्रेजी अक्षरों, संख्याओं एवं चिह्नों का प्रयोग करके प्रोग्राम लिखा जाता है उच्च स्तरीय भाषा किसी भी प्रकार के प्रोसेसर पर कार्य कर सकती है इसे आसानी से समझा जा सकता है यह सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसे कम्पाइलर द्वारा अनुवाद करके मशीनी भाषा में बदला जाता है।
● उच्च स्तरीय भाषा सुविधाजनक होने के लक्षणों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, इसका अर्थ यह है कि ये भाषा मशीन पर निर्भर करती है। यह भाषा अंग्रेजी भाषा के कोड जैसी होती है, इसलिए इसे कोड करना या समझना सरल होता है। इसके लिए एक Translator की आवश्यकता होती है, जो उच्च स्तरीय भाषा के Program को मशीन कोड में translate करता है। इसके उदाहरण है फॉरट्रेन (FORTRAN), बेसिक (BASIC), कोबोल (COBOL), पास्कल (PASCAL), सी (C), सी ++ (C ++), जावा (JAVA), VISUAL BASIC, Visual Basic.net
● मशीनी भाषा (Machine language) के अतिरिक्त सभी प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) में 0 और 1 के अलावा अन्य अंकों और शब्दों का प्रयोग होता है लेकिन कम्प्यूटर सीधे इसे पढ़ नहीं पाता है लेकिन भाषा अनुवादक (Language Translator) इन अंकों और शब्दों को मशीनी भाषा अथवा बाइनरी अंकों में बदल देता है ताकि कम्प्यूटर इसे आसानी से पढ़ सके और प्रोग्राम के अनुसार काम कर सके।

प्रोग्राम अनुवादक के प्रकार (Types of Program Translators)
● प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक (Types of Program Translators) तीन प्रकार के होते हैं –
1. असेम्बलर (Assembler)
2. कम्पाइलर (Compiler)
3. इंटरप्रेटर (Interpreter)
1. असेम्बलर (Assembler)
● यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो असेम्बली भाषा में लिखे गए किसी प्रोग्राम को पढ़ता है और उसका अनुवाद मशीनी भाषा में कर देता है। असेम्बली भाषा के प्रोग्राम को सोर्स प्रोग्राम कहा जाता है। इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करने के बाद जो प्रोग्राम प्राप्त होता है, उसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम कहा जाता है।
2. कम्पाइलर
● एक कंपाइलर एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है जो उच्च-स्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम को मशीन भाषा में अनुवाद करता है। उच्च-स्तरीय प्रोग्राम को ‘सोर्स कोड’ कहा जाता है। कंपाइलर को सोर्स कोड को मशीन कोड या कम्पाइल्ड कोड में अनुवाद करने के लिए उपयोग किया जाता है। कंपाइलर प्रोग्राम को चलाने से पूर्व सम्पूर्ण सोर्स कोड को भाषा सम्बन्धी त्रुटियों जिन्हें सिंटेक्स एरर कहा जाता है, के लिए जाँचा जाता है। अगर कोई सिंटेक्स एरर आती है तो उसे दूर किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक की जाती है जब तक की पूरा प्रोग्राम त्रुटि रहित नहीं हो जाता है। एक बार प्रोग्राम त्रुटि रहित होने के बाद इसे कम्पाइलर द्वारा कम्पाइल किया जाता है तथा ऑब्जेक्ट कोड /मशीन कोड प्राप्त किया जाता है। कम्पाइलर द्वारा प्राप्त ऑब्जेक्ट कोड सामन्यतया EXE फाइल के रूप में होता है। एक बार Object code प्राप्त होने के बाद इसे अनेकों बार बिना कम्पाइल करे क्रियान्वित (Execute)/चलाया (Run) किया जा सकता है।
3. इंटरप्रेटर (Interpreter)
● इंटरप्रेटर एक ऐसा प्रोग्राम है जो किसी उच्च स्तरीय भाषा में लिखे प्रोग्राम को मशीन कोड में अनुवाद करता है। परन्तु इंटरप्रेटर एक बार में प्रोग्राम की एक पंक्ति का अनुवाद करता है और इसे क्रियान्वित करता है। फिर यह प्रोग्राम के अगली पंक्ति को पढ़ता है और इसका अनुवाद करता है और इसे क्रियान्वित करता है। इस तरह से यह आगे बढ़ता जाता है जब तक प्रोग्राम की सभी लाइनों को अनुवाद और क्रियान्वित नहीं किया जाता है। कम्पाइलर के विपरीत, जो पहले प्रोग्राम को कम्पाइल करता है तथा फिर क्रियान्वित करता है, इंटरप्रेटर प्रोग्राम का लाइन दर लाइन अनुवाद करता है तथा साथ की साथ इसे क्रियान्वित करता है।
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