क्या आप जानते है भारत में कितने प्रकार के कोयले पाए जाते है और इनमे से सबसे उच्च क्वालिटी का कोयला कौन सा होता है नहीं जानते तो यह पोस्ट आपको बहुत काम आने वाली है जिसमे हमने कोयला एवं उसके प्रकार के बारे में सम्पूर्ण डिटेल्स के साथ जानकारी साझा की है जो आपको किसी भी परीक्षा के लिए काम आएगी क्योकि यहाँ से बहुत बार परीक्षा में प्रश्न पूछे जा चुके |
कोयला एवं उसके प्रकार
ऊर्जा संसाधन
कोयला
• भारत में कोयला शक्ति का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है।
• ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के आधार पर कोयले को उद्योगों की जननी, काला सोना और शक्ति का प्रतीक कहा जाता है।
• आधुनिक औद्योगीकरण का सूत्रपात करने का श्रेय कोयले को ही है।
• कोयला उत्पादन में चीन तथा अमेरिका के बाद भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
• भारत में कोयले का उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है। कोयला खनन उद्योग का विकास 1774 ई. में आरम्भ हुआ, जब अंग्रेजों द्वारा रानीगंज में कोयले का पता लगाया गया।
• भारत में कुल विद्युत उत्पादन में कोयले का योगदान लगभग 70 प्रतिशत है।
• भारत के कुल संचित भंडार का लगभग 96% कोयला गौंडवाना संरचना में पाया जाता है। जिसका निर्माण मुख्यत: कार्बोनीफेरस एवं पर्मियन काल में हुआ है, शेष कोयला टर्शियरी काल का है।
· गौंडवाना कोयला क्षेत्र– दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी, पेंच, वर्षा आदि नदी घाटियों का कोयला क्षेत्र है। यह कोयला मुख्यत: बिटुमिनस प्रकार का है एवं मुख्यत: प्रायद्वीपीय पठार में संचित है।
· टर्शियरी कोयला क्षेत्र– इस काल का कोयला लिग्नाइट से लेकर एंथ्रेसाइट प्रकार का है। यह प्रायद्वीपीय भारत के बाहर भी पाया जाता है। कश्मीर में चट्टानों के टूटने के कारण अधिक दबाव के फलस्वरूप यह एंथ्रेसाइट में परिवर्तित हो गया है।
· मेघालय– दारंग्गिरी, चेरापूंजी, लेतरिंग्यू, माआलौंग, लांगरिन क्षेत्र है।
· ऊपरी असम – माकुम, जयपुर, नजीरा क्षेत्र हैं।
अरुणाचल प्रदेश – नामचिक, नामरुक, डिंगराक (डफला पहाड़ी क्षेत्र)।
· जम्मू कश्मीर – कालाकोट क्षेत्र।
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कोयले के प्रकार
· कार्बन एवं जलवाष्प की मात्रा के आधार पर कोयले को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
1. एन्थ्रेसाइट
· यह सर्वोतम कोटि का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 80 से 95 प्रतिशत तक होती है।
• यह कोयला जलते समय धुआँ नहीं देता तथा ऊष्मा, ऊर्जा और ताप बहुत अधिक देता है।
• इस प्रकार का कोयला जम्मू-कश्मीर (रियासी जिले) में पाया जाता है।
2. बिटुमिनस
· यह मध्यम श्रेणी का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक होती है।
• भारत का अधिकांश कोयला इसी प्रकार का है। हमारे देश में प्रायद्वीपीय क्षेत्र का अधिकांश कोयला इसी प्रकार का है। भारत में रानीगंज, झरिया, कर्णपुरा, वीरमित्रपुरा, कोरबा, गिरिडीह, बोकारो आदि कोयला क्षेत्रों में इसी प्रकार का कोयला मिलता है।
3. लिग्नाइट
· यह निम्न श्रेणी का कोयला है, इसका रंग भूरा होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 30 से 50 प्रतिशत तक होती है।
• कोयला परतदार चट्टानों के बीच में पाया जाता है।
• भारत में कोयले की प्राप्ति तीन युग चट्टानों से होती है-
(i) गौंडवाना काल (ii) मेसोजोइक काल (iii) टर्शियरी काल
• मेसोजोइक काल के कोयले का महत्त्व संचित भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से नगण्य है।
भारत के प्रमुख लिग्नाइट खनन केन्द्र
(i) नवेली, दक्षिणी अर्काट जिला, तमिलनाडु
(ii) पलाना (बीकानेर, राजस्थान)
(iii) लखीमपुर (असम)
(iv) करेवा क्षेत्र (कश्मीर)
(v) उमरसर (गुजरात)
4. पीट
· यह कोयला बनने की प्रक्रिया में मध्यवर्ती अवस्था है। इसमें लकड़ी के अंश स्पष्ट रूप में होते हैं। पीट में कार्बन की मात्रा 50% से कम होती है।
प्रकार | कार्बन की मात्रा | क्षेत्र |
एन्थ्रेसाइट (चमकीला कोयला) | 80%-95% | रियासी (जम्मू-कश्मीर) |
बिटुमिनस (काला कोयला) | 60%-80% | झरिया, बोकारो (झारखण्ड) तलचर (ओडिशा), रानीगंज, डाल्टनगंज (पश्चिम बंगाल) |
लिग्नाइट (भूरा कोयला) | 40%-60% | ओर्काट (तमिलनाडु), पलाना, गिरल, रानेरी (राजस्थान) दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) लखीमपुर (असम) |
पीट (जैविक कोयला) | 40% से कम | ब्रह्मपुत्र घाटी |
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कोयला एवं उसके प्रकार : यह प्रश्न सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बनाये गए है अगर आपके सिलेबस में भूगोल विषय शामिल है तो आप इन प्रश्नों जरूर प्रैक्टिस करें एवं अच्छे लगे तो अपने दोस्तों को भी शेयर करें