इस पोस्ट में हम प्राकृतिक वनस्पति से संबंधित नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपके सिलेबस में यह टॉपिक शामिल है तो आप हमारी इस पोस्ट को पूरा पढ़ें जिसमें हमने बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में निशुल्क नोट्स अपलोड कर दिए हैं जिनसे आप घर बैठे शानदार तैयारी कर सकते हैं इसमें हमने आपको भारतीय वन रिपोर्ट 2021 , राष्ट्रीय उद्यान , जैव आरक्षित क्षेत्र एवं टाइगर रिजर्व के बारे में विस्तार से बताया है
प्राकृतिक वनस्पति
भारत में जलवायु की दृष्टि से काफी विविधता पाई जाती है, फलस्वरूप भारत के विभिन्न जलवायु प्रदेशों में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति का विकास हुआ है। सामान्यतः ऐसा कहा जा सकता है कि भारत की प्राकृतिक वनस्पति वर्षा का अनुसरण करती है।
हिमालय की प्राकृतिक वनस्पति पर ऊँचाई के कारण तापमान में होने वाली कमी का काफी अधिक प्रभाव पड़ा है।
इस प्रकार भारत की वनस्पति के विकास पर जलवायु एवं उच्चावच दोनों का ही प्रभाव पड़ा है। सामान्यतः भारत में पाई जाने वाली प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाहरित वनस्पति
· यह वनस्पति वैसे क्षेत्रों में पाई जाती है, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 से.मी. से अधिक होती है। तापमान वर्ष भर ऊँचा (वार्षिक औसत तापमान 22ºC) एवं वायु में आर्द्रता 70% से अधिक होती है।
वितरण
(1) उत्तर–पूर्वी भारत
(2) पश्चिमी घाट पर्वत का पश्चिमी ढाल
(3) अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप
(2) उष्ण कटिबंधीय आर्द्र मानसूनी वनस्पति
· इस वनस्पति का विकास उन क्षेत्रों में हुआ है, जहाँ वर्षा की मात्रा 100 से 200 से.मी. के बीच होती है।
· इसे पतझड़ वन भी कहा जाता है।
(1) पश्चिमी घाट पर्वत का पूर्वी ढाल
(2) हिमालय की तराई का क्षेत्र
(3) बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु एवं केरल।
· शुष्क गर्मी की ऋतु में आर्द्रता की कमी के कारण वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं, ताकि उनकी नमी नष्ट न हो सके।
· इस वनस्पति प्रदेश में वृक्षों की औसत ऊँचाई सामान्यतः 20 से 45 मीटर होती है।
· वृक्षों के नीचे झाड़ियाँ, लताओं आदि का अभाव होता हैं।
(3) उष्ण कटिबंधीय शुष्क मानसूनी वनस्पति
· यह वनस्पति उन क्षेत्रों में पाई जाती है। जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 100 से.मी. के बीच होती है।
· वितरण– यह वनस्पति मुख्यतः पूर्वी राजस्थान, उत्तरी गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम उत्तर-प्रदेश, दक्षिणी पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी घाट पर्वत के वृष्टि छाया प्रदेश में पाई जाती है।
· वृक्षों की ऊँचाई सामान्यतः 6 से 9 मीटर तक होती है।
· वृक्षों की जड़ें काफी लंबी होती हैं ताकि वे गहराई से जल प्राप्त कर सकें।
· अनेक वृक्षों की छाल मोटी, पत्ते मोटे एवं काँटेदार होते हैं, जिससे कि वाष्पीकरण की गति को धीमा किया जा सके।
· इन वनों में महुआ, बबूल, पलाश, तेंदू, खैर, कीकर, बेर, रीठा, बरगद, पीपल आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
(4) मरुस्थलीय व अर्द्ध-मरुस्थलीय वनस्पति
· इस प्रकार की वनस्पति 50 से.मी. से कम वर्षा वाले भागों में पाई जाती है।
· ये वृक्ष, छोटी-छोटी झाड़ियों के रूप में होते हैं। सामान्यतः वृक्षों की अधिकतम ऊँचाई 6 मीटर तक होती है।
· वृक्षों की जड़ें लंबी, पत्तियाँ मोटी एवं कँटीली होती हैं।
(1) पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी गुजरात
(2) पश्चिमी घाट पर्वत का वृष्टिछाया प्रदेश
· खेजड़ी, खजूर, नागफनी, बबूल इनके मुख्य वृक्ष हैं।
(5) ज्वारीय वनस्पति
· इस प्रकार की वनस्पति समुद्री तट एवं निम्न डेल्टाई भागों में पाई जाती है, जहाँ ज्वार के कारण नमकीन जल का फैलाव होता है।
· भारत में इसका सर्वाधिक विस्तार प. बंगाल में है।
· यहाँ की मिट्टी दलदली होती है, वृक्षों की जड़ें जटा की तरह होती हैं एवं तने को उपर उठाकर रखती हैं।
· वृक्षों की ऊँचाई 30 मीटर तक होती है एवं वे सदैव हरे-भरे रहते हैं।
ये वनस्पति निम्न क्षेत्रों में पायी जाती है।
(1) गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा एवं महानदी, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी आदि नदियों के डेल्टाई भाग में
(2) पूर्वी एवं पश्चिमी तट
· नारियल, ताड़, बेंत, सुन्दरी, नीप, कैसूरीन, सोनेरीटा, फोनिक्स आदि वृक्ष यहाँ पाए जाते हैं।
· सुन्दरी वृक्षों की अधिकता के कारण ही गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा के मैंग्रोव वन को सुन्दरवन कहा जाता है।
· तमिलनाडु के तट पर ताड़ एवं केरल के तट पर नारियल के वृक्षों की प्रधानता है।
· ऊँचाई और वर्षा के वितरण के आधार पर दो प्रकार की वनस्पति देखने को मिलती हैं।
(1) हिमालय क्षेत्र की वनस्पति
· हिमालय क्षेत्र में वनस्पति के वितरण पर ऊँचाई का महत्त्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में कमी आती है।
· अतः यहाँ उष्ण कटिबंधीय वनस्पति से लेकर टुंड्रा वनस्पति की पेटियाँ पाई जाती हैं।
· हिमालय का पूर्वी भाग कर्क रेखा एवं समुद्र के अधिक निकट है, साथ ही इस भाग में वर्षा अधिक होती है।
· हिमालय का पश्चिमी भाग न केवल कर्क रेखा से अधिक उत्तर है बल्कि यहाँ महाद्वीपीय जलवायु का भी प्रभाव है।
· इस भाग में वर्षा की मात्रा भी कम है।
· यही कारण है कि इन दोनों भागों की वनस्पति की पेट्टियों की ऊँचाई एवं सघनता में अंतर देखने को मिलता है।
(2) आर्द्र उपोष्ण पहाड़ी वनस्पति
· यह वनस्पति प्रायद्वीपीय भारत में 1070 से 1500 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है।
· यह वनस्पति सदाबहार होती है।
· वृक्षों की लकड़ियाँ लगभग मुलायम होती हैं।
· वितरण : पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, सतपुड़ा, महादेव एवं मैकाल, नीलगिरि, कार्डामम एवं अन्नामलाई की पहाड़ियों पर इस प्रकार की वनस्पति का विस्तार हैं।
· इन वनों को ‘शोलास’ (Sholas) के नाम से जाना जाता है।
· मैग्नेलिया, लारेल, यूक्लिप्टस, एल्म आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021
· ब्रिटिश काल में भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति 1894 ई. में प्रकाशित हुई।
· देश में कुल वन आवरण(Forest cover) 712249 वर्ग किमी. है और वृक्ष आवरण(Tree cover) 95,748 वर्ग किमी. जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है जिसमें वन आवरण 21.71 है प्रतिशत तथा वृक्ष आवरण 2.91 प्रतिशत है।
अत्यधिक सघन वन | 3.04 प्रतिशत |
मध्य सघन वन | 9.33 प्रतिशत |
खुले वन | 9.34 प्रतिशत |
कुल वन आवरण | 21.71 प्रतिशत |
झाड़ियाँ | 1.42 प्रतिशत |
वन रहित क्षेत्र | 76.87 प्रतिशत |
देश का कुल क्षेत्रफल | 100 प्रतिशत |
सन् 1987 में भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग देहरादून द्वारा प्रत्येक 2 वर्षों में वन रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। इसी क्रम में 17 वीं वन रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई।
भारत सरकार के पर्यावरण – वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार देश 8,09,537 वर्ग किमी. भूमि पर वन आवरण व वृक्ष आवरण है जो देश के 24.62 प्रतिशत भाग पर है। वर्ष 2019 की तुलना में वन आवरण में 1540 वर्ग किमी. और वृक्ष आवरण में 721 वर्ग किमी. क्षेत्र पर वन वृद्धि हुई है। सर्वाधिक वन वृद्धि आन्ध्रप्रदेश (647 वर्ग किमी.) तेलंगाना (632 वर्ग किमी.) ओडिशा (537 वर्ग किमी.) कर्नाटक (155 वर्ग किमी.) झारखण्ड (110 वर्ग किमी.) राज्यों में रही है।
जबकि सर्वाधिक वन क्षेत्र मध्यप्रदेश (77493 वर्ग किमी.), अरुणाचल प्रदेश (66631 वर्ग किमी.) छत्तीसगढ़ (55717 वर्ग किमी.), ओडिशा (52156 वर्ग किमी.) तथा सर्वाधिक वन प्रतिशत लक्षद्वीप (90.33%), मिजोरम (85.41%), अण्डमान – निकोबार (81.74%), अरुणाचल प्रदेश (79.63%), मेघालय (76.33%) प्रमुख राज्य हैं।
· भारत में मैन्ग्रोव वन क्षेत्र वर्ष 2021 में 4992 वर्ग किमी. है। जो वर्ष 2019 की तुलना में 17 वर्ग किमी. बढ़ा है।
· स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति वर्ष 1952 में प्रकाशित की गई।धार पर वनों का वर्गीकरण
(1) सुरक्षित वन (Reserved Forest) – इन वनों को काटना हानिकारक होता है इसलिए इन वनों के काटने पर रोक लगा दी जाती है। ये वन सरकार के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में रहते है।
(2) संरक्षित वन (Protected Forest) – पशुओं को चराने व लकड़ी काटने की सुविधा किन्तु कड़ा नियंत्रण ताकि वनों को नुकसान न हो। सरकार की देखरेख में मवेशियों के प्रवेश की अनुमति।
(3) अवर्गीकृत वन (Unclassified forests) – इनमें लकड़ी काटने व पशु चराने पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता है।
· पारिस्थितिकी की दृष्टि से भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 33% भाग पर वनों का होना आवश्यक है।
· इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में 60% भूमि पर एवं मैदानी क्षेत्रों में 20% भूमि पर वन अनिवार्य हैं।
राष्ट्रीय उद्यान
1. नंदा देवी नेशनल पार्क
· नंदा देवी नेशनल पार्क नंदा देवी शिखर के चारों ओर विस्तृत उत्तराखंड में अवस्थित है। यह वर्ष 1982 में स्थापित तथा वर्ष 1988 में इसे UNESCO द्वारा वर्ल्ड हैरीटेज साइट घोषित किया गया, यहाँ ऋषि गंगा नदी बहती है।
2. सलीम अली नेशनल पार्क
· यह जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के समीप है।
3. किश्तवार नेशनल पार्क
· यह नेशनल पार्क जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में अवस्थित है।
4. हेमिस नेशनल पार्क
· यह उच्च अक्षांशीय नेशनल पार्क लद्दाख क्षेत्र में अवस्थित है।
5. पिन घाटी नेशनल पार्क
· यह हिमाचल प्रदेश के लाहौल व स्पीति घाटी के ठंडे मरुस्थल क्षेत्र में स्थित है। इसे वर्ष 1987 में नेशनल पार्क घोषित किया गया।
6. ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क
· यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू प्रदेश में अवस्थित है। यह नेशनल पार्क वर्ष 1987 में बना।
7. गोविंद पशु विहार नेशनल पार्क
· यह नेशनल पार्क उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अवस्थित है।
8. गंगोत्री नेशनल पार्क
· यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के ऊपरी अपवाह क्षेत्र में अवस्थित है।
9. राजाजी नेशनल पार्क
· यह उत्तराखंड में हिमालय के पर्वतपाद शिवालिक में अवस्थित है। यह तीन इकाइयों 1. चिल्ला, 2. मोतीचूर, 3. राजाजी से मिलकर बना है।
10. फूलों की घाटी नेशनल पार्क
· यह उत्तराखंड के चमोली जिले में अवस्थित है।
11. दाचीगाम नेशनल पार्क
· दाचीगाम नेशनल पार्क पश्चिमी हिमालय के ऊँचे पर्वत पर अवस्थित है। दाचीगाम नेशनल पार्क कश्मीर राज्य में हंगल के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
12. कॉर्बेट नेशनल पार्क
· यह पार्क वर्ष 1936 में हैली नेशनल पार्क के नाम से स्थापित हुआ। यह उत्तराखंड के पुरी तथा नैनीताल में अवस्थित है। उप-हिमालय पट्टी पर अवस्थित यह पार्क भौगोलिक तथा आर्थिक विशेषताएँ रखता है।
13. सुल्तानपुर नेशनल पार्क
· यह पार्क हरियाणा के गुड़गाँव जिले में अवस्थित है। यह वर्ष 1972 में पक्षी आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया तथा वर्ष 1989 में यह पार्क बना।
14. मरुस्थल नेशनल पार्क
· यह राजस्थान में जैसलमेर के समीप अवस्थित है।
15. नाहरगढ़ नेशनल पार्क
· यह पार्क जयपुर (राजस्थान) में आमेर पहाड़ियों में अवस्थित है। यह जयपुर से रेल, सड़क तथा हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।
16. सरिस्का नेशनल पार्क
· सरिस्का नेशनल पार्क या टाइगर आरक्षित क्षेत्र राजस्थान के अलवर जिले में अवस्थित है। यह दिल्ली-जयपुर हाईवे पर अलवर के निकट कनकवारी किले पर अवस्थित है।
17. रणथंभौर नेशनल पार्क
· यह पार्क दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में अवस्थित है। यह वर्ष 1973 में टाइगर रिज़र्व घोषित हुआ तथा वर्ष 1980 में नेशनल पार्क बना।
18. केवलादेव नेशनल पार्क
· यह राजस्थान के भरतपुर जिले में अवस्थित है।
19. भरतपुर नेशनल पार्क
· भरतपुर नेशनल पार्क भरतपुर में गंभीरी तथा वेनगंगा नदी के समीप अवस्थित है। इसे UNESCO के द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया गया है।
20. दुधवा नेशनल पार्क
· यह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में अवस्थित है। यह वर्ष 1958 में जीव आरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ। वर्ष 1977 में यह क्षेत्र नेशनल पार्क घोषित किया गया, वर्ष 1988 में इसे दुधवा टाइगर रिज़र्व के नाम से घोषित किया गया।
21. वाल्मीकि नेशनल पार्क
· यह बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में अवस्थित है। यह एक टाइगर रिज़र्व भी है।
22. माउंट आबू जैवीय अभयारण्य
· यह भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रेणी अरावली में स्थित है। यह वर्ष 1960 में जैव आरक्षित घोषित किया गया, यह क्षेत्र जैवीय जैव-विविधता में धनी है।
23. अन्नामलाई-पारम्बीकुलम बाह्य अभयारण्य
· यह केरल के पालकड़ जिले में अवस्थित है। यह वर्ष 1973 में स्थापित हुआ यह अन्नामलाई तथा नौलमपट्टी के मध्य अवस्थित है।
24. ‘’ब्लैकबक राष्ट्रीय उद्यान’’
· यह राष्ट्रीय उद्यान गुजरात भावनगर में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1976 में सौराष्ट्र में की गई तथा यह भावनगर शहर से लगभग 75 किमी. की दूरी पर स्थित है।
25. माधव राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है।
26. संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान
· यह मुंबई में स्थित है।
27. वंसदा राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान दक्षिण गुजरात के नक्सारी जिले में अंबिका नदी के तट पर स्थित है तथा यह लगभग 25 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
28. पेंच राष्ट्रीय उद्यान
· यह मध्य प्रदेश में नागपुर से लगभग 70 किमी. की दूरी पर स्थित है।
29. फॉसिल (जीवाश्म) राष्ट्रीय उद्यान
· मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित इस उद्यान में उन वनस्पतियों के जीवाश्म हैं, जो 150 मिलियन वर्ष पहले से लेकर 40 मिलियन वर्ष पहले तक पाए जाते थे।
30. नागजिरा राष्ट्रीय उद्यान
· यह महाराष्ट्र के बांद्रा जिले में स्थित है।
31. नवेगाँव राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान महाराष्ट्र के विदर्भ प्रदेश में स्थित है।
32. बांधवगढ़
· यह मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में अवस्थित है। बांधवगढ़ वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
33. मोलेम राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान गोवा राज्य में स्थित है तथा 107 वर्ग किमी. के प्रदेश में फैला हुआ है।
34. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कोलाबा नदी के निकट स्थित है। यहाँ हरिण, जंगली सूअर, जंगली भैंस, नीलगाय तथा कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
35. कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान
· कुद्रेमुख कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में एक पर्वत है। तुंगभद्रा तथा नेत्रावती जैसी महत्त्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थान कुद्रेमुख में है।
36. मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान
· यह नीलगिरि पर्वत के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित है।
37. नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान कर्नाटक में स्थित है। कर्नाटक के मैसूर जिले का यह उद्यान बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान से दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है।
38. मुदुमलाई अभयारण्य
· यह तमिलनाडु राज्य के सबसे पश्चिमी भाग में स्थित है। यह नीलगिरि जिले से उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित है। यह कोयंबटूर से लगभग 80 किमी. दूर है।
39. श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान आंध्र प्रदेश के कुडप्पा तथा चितूर जिले में स्थित है। यह उद्यान अनेक जलप्रपातों के लिए प्रसिद्ध है।
40. पलानी पहाड़ी राष्ट्रीय उद्यान
यह राष्ट्रीय उद्यान तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में स्थित है।
41. शांत घाटी राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान केरल राज्य के पल्लकड़ जिले में नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित है। यह उद्यान 90 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
42. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान
· यह एक संरक्षित प्रदेश है तथा एक प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व जो केरल के इडूक्की जिले में स्थित है।
43. नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान नंदा देवी चोटी (समुद्री स्तर से 7818 मीटर ऊँचाई) के निकट स्थित है। यह एक घोषित वर्ल्ड हेरीटेज साइट (अंतर्राष्ट्रीय धरोहर) है।
44. उत्तरी बटन द्वीप उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान अंडमान एवं निकोबार द्वीप में स्थित है। यह कई जीवों का वासस्थान है।
45. नामेरी राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी हिमालय के पाहगिरि में असम के सोनीतपुर जिले में स्थित है।
46. नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान
· यह मेघालय राज्य के गारो पहाड़ी जिले में ट्ररा से लगभग 2 किमी. दूर पूर्व में स्थित है।
47. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
· असम के गोलाघाट तथा नागाँव जिले में फैला यह उद्यान एक वर्ल्ड हेरीटेज साइट है तथा विश्व के लगभग दो-तिहाई एक सींग वाले राइनोसोरस (गैंडों की आबादी इस उद्यान में है।) यहाँ ब्रह्मपुत्र नदी बहती है। काजीरंगा में विश्व के बाघों की सबसे अधिक आबादी है तथा इसे वर्ष 2006 में एक टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
48. नामदफा राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी हिमालय में अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान और पक्षी अभयारण्य है। यहाँ पर भारत में लीसु जनजाति का आखिरी गाँव स्थित है।
49. सिरोई राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान मणिपुर में स्थित है तथा इसकी स्थापना वर्ष 1982 में की गई। यहाँ बाघ, तेंदुआ तथा ट्रेगोपेन पाए जाते हैं। इस उद्यान में प्रसिद्ध सिरोई लिली पाई जाती है।
50. काइबूल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान
· मणिपुर में लोकटक झील के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। यह मणिपुर के ब्री इंटलर्ड हरिण का आखिरी प्राकृतिक आश्रय है। इस हरिण का स्थानीय नाम सांगाई है। इसे मणिपुर का नाचने वाला मृग भी कहा जाता है।
51. कैम्पबेल राष्ट्रीय उद्यान
· यह 425 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह ग्रेट निकोबार द्वीप में स्थित है जो निकोबार द्वीपों में सबसे बड़ा महाद्वीप है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1992 में की गई तथा यह ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व का भाग है।
52. कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान
· यह एक राष्ट्रीय उद्यान तथा एक जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र भी है जो सिक्किम राज्य के उत्तरी जिले में स्थित है।
53. मथिकेतन शोला राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान केरल के इडुक्की जिले में स्थित है। इस उद्यान के पर्यावरण, जीव-जंतुओं तथा वनस्पति संपदा के संरक्षण के लिए वर्ष 2003 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
54. बटन द्वीप राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान अंडमान एवं निकोबार द्वीप में स्थित है। यह पोर्ट ब्लेयर के निकट स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 64 वर्ग किमी. है।
55. माउलिंग राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान अरुणाचल प्रदेश में शिआंग जिले में स्थित है। यह उद्यान 500 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
56. माउंट हैरिएट राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान अंडमान तथा निकोबार द्वीप में स्थित है।
57. मृगवनी राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान आंध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है।
58. मुरलेन राष्ट्रीय उद्यान:-
· यह उद्यान मिज़ोरम राज्य के छंपाई जिले में स्थित है। यह आइज़ोल से 245 किमी. दूर चीन पहाड़ियों के नजदीक स्थित है।
59. फाबंगपुई नीला पर्वत राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान मिजोरम के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है।
60. सैडल पीक राष्ट्रीय उद्यान
· यह राष्ट्रीय उद्यान अंडमान तथा निकोबार में स्थित है।
61. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
· यह उद्यान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है तथा 525 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
जैव आरक्षित क्षेत्र
1. नंदा देवी :-
· यह जैवमंडल रिज़र्व नंदा देवी शिखर के चारों ओर उत्तराखंड राज्य में है। इसे वर्ष 1998 में ‘’UNESCO’’ द्वारा ’वर्ल्ड हेरीटेज साइट‘ घोषित किया गया।
2. कंचनजंगा :-
· यह सिक्किम राज्य में अवस्थित है। माउंट कंचनजंगा को भी इसी के अंतर्गत रखा गया है। कंचनजंगा पर्वत विश्व का तीसरा सबसे ऊँचा पर्वत है।
3. मानस :-
· मानस नेशनल पार्क (असम) हिमालय के पर्वत पदीय (Fool Hill) क्षेत्र में अवस्थित है।
4. दिबांग/दिहांग :-
· यह अरुणाचल प्रदेश में अवस्थित है। इस जैवमंडल रिज़र्व क्षेत्र में मैलिग नेशनल पार्क तथा दिबांग घाटी जीव अभयारण्य अवस्थित हैं।
5. डिब्रू
· यह असम के तिनसुकिया में अवस्थित है। इस नेशनल वन्यजीव पार्क की उत्तरी सीमा ब्रह्मपुत्र व लोहित नदी तथा दक्षिणी सीमा डिब्रू नदी द्वारा घिरी हुई है। यह जैव-विविधता हॉट-स्पॉट है।
6. नोक्रेक
· यह जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र मेघालय के पश्चिमी गारो पहाड़ी राज्य में तुरा शिखर से लगभग 12 किमी. दूरी पर है। इसे मई 2009 में UNESCO द्वारा जैव आरक्षित की सूची में रखा गया है।
7. सुंदरवन
· यह आरक्षित क्षेत्र पश्चिम बंगाल में सुंदरवन डेल्टा में अवस्थित है। यह नेशनल पार्क बंगाल के शेरों का सबसे बड़ा रिज़र्व क्षेत्र है। यह नेशनल पार्क सघन रूप से सुंदरी वृक्षों वाले वन अथवा मैंग्रोव वन से घिरा है।
8. पंचमढ़ी
· यह आरक्षित क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य में सतपुड़ा श्रेणी में अवस्थित है। इस क्षेत्र में तीन वन्य जीव आरक्षित इकाइयाँ सम्मिलित हैं-
1. बोरी सेन्चुरी
2. सतपुड़ा नेशनल पार्क
3. पंचमढ़ी सेन्चुरी
9. सिमिलिपाल
· यह ओडिशा के मयूरभंज में अवस्थित है। यह नेशनल पार्क एक टाइगर रिज़र्व है। इसमें कुछ सुंदर जलप्रपात है। जैसे- जोरानडा और बारेहीपानी आदि।
10. अमरकंटक
· यह मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ दो राज्यों के क्षेत्र में अवस्थित है। इसका क्षेत्र अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के मध्य जलविभाजक का कार्य करता है। यह क्षेत्र ‘’Genetic Express highway’’ द्वारा जैविक हॉट-स्पॉट्स पश्चिमी घाट तथा पूर्वी हिमालय को जोड़ता है।
11. कच्छ का रण
· यह गुजरात के कच्छ राज्य में अवस्थित है। छोटा कच्छ का रण भारतीय जंगली गधों के अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है।
12. नीलगिरि
· यह एक अंतर्राष्ट्रीय जीव अभयारण्य है। यह पश्चिमी घाट की नीलगिरि पहाड़ियों में अवस्थित है। इसे ‘’UNESCO’’ के द्वारा वर्ल्ड हेरीटेज साइट के लिए चुना गया है।
13. अगस्त्यामलाई :-
· यह क्षेत्र केरल में कोल्लम और तिरुवनंतपुरम तथा तमिलनाडु के तिरुन्नलवेली व कन्याकुमारी जिलों के दक्षिण में पश्चिमी घाट के अंत में है।
14. मन्नार की खाड़ी :-
· मन्नार की खाड़ी भारत के दक्षिण-पूर्व तथा श्रीलंका के पश्चिमी तट के मध्य है। इस नेशनल पार्क तथा इसकी 10 किमी. की बफ्फर जोन को वर्ष 1989 में अभयारण्य घोषित कर दिया गया।
15. ग्रेट निकोबार :-
· यह जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र ग्रेट निकोबार द्वीप का लगभग 85 प्रतिशत क्षेत्र सम्मिलित करता है। यह आरक्षित क्षेत्र जंतु व पौधों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का आवास है। यह भौगोलिक रूप से अंडमान निकोबार प्रदेश का भाग है।
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