वित्त आयोग ( Finance Commission ) : कार्य एवं सदस्य

वित्त आयोग ( Finance Commission )
Share With Friends

अगर आप भारतीय राजवयवस्था विषय पढ़ रहे है तो उसमे आपको वित्त आयोग के बारे में भी पढ़ने को मिलता है इस पोस्ट में हम इसी के बारे में विस्तार से जानेगे | वित्त आयोग ( Finance Commission ) : कार्य एवं सदस्य के बारे में हमने बहुत ही अच्छे से बताने का प्रयास किया है जिन्हे आप नीचे पढ़ सकते है ऐसे नोट्स से आप घर बैठे किसी भी परीक्षा की शानदार तैयारी कर सकते है 

वित्त आयोग ( Finance Commission ) : कार्य एवं सदस्य

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में एक अर्द्धविधायी संस्था के रूप में वित्त आयोग का प्रावधान किया गया है।
  • इसका गठन प्रत्येक पाँच वर्ष बाद राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  • वित्त आयोग में एक अध्यक्ष, जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है तथ अन्य चार सदस्य होते हैं, ये सदस्य अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत तक बने रहते हैं। इनकी पुनर्नियुक्ति संभव है।
  • संसद ने वित्त आयोग 1951 के द्वारा इसके सदस्यों व अध्यक्ष की योग्यता का निर्धारण किया गया है। इस आयोग के अध्यक्ष को सार्वजनिक कार्यों का अनुभव होना चाहिए व अन्य चार सदस्य में से एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या समान योग्यता वाला व्यक्ति होता है।
  • एक व्यक्ति, जिसे सरकारी वित्तीय व लेखा प्रणाली का अच्छा ज्ञान हो। एक व्यक्ति, जिसे प्रशासनिक विषय अनुभव हो। एक अर्थशास्त्री हो, जिसे अर्थशास्त्र का ज्ञान हो।
  • प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे। 14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष वाई.वी. रेड्‌डी व 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष नन्द किशोर सिंह है।
  • इसके सदस्य – प्रो. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी, डॉ. रमेश चंद्र व अजय नारायण झा है।
  • 15वें वित्त आयोग की अवधि 2020-2026 तक होगी। अपनी प्रथम रिपोर्ट यह 2020-21 वित्त वर्ष में सौंपेगा।

अर्थव्यवस्था में वित्तीय असंतुलन दो प्रकार का होता है –

(i)  लम्बवत असंतुलन – संघ व राज्यों के बीच असंतुलन

(ii)  क्षैतिज असंतुलन – राज्यों के बीच में असंतुलन

वित्त आयोग के कार्य

  • करों से प्राप्त कुल प्राप्तियों का केन्द्र और राज्यों के बीच बंटवारा व आवंटन करना।
  • राज्य वित्त आयोग की सिफारिश पर पंचायतों व नगरपालिकाओं के संसाधनों की संपूर्ति के लिए राज्य की संचित निधि में वृद्धि करना।
  • अनुच्छेद-275 के अंतर्गत दिये जाने वाले अनुदानों की सिफारिश करना।
  • राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए अन्य विषयों पर भी सुझाव देने का दायित्व वित्त आयोग का है।
  • अनुच्छेद-273 के अंतर्गत संघ से राज्यों के लिए कोष का आवंटन करना। 1969 तक इस आवंटन के लिए कोई विशेष मानक नहीं था। योजना आयोग के तात्कालिक उपाध्यक्ष गाडगिल द्वारा सुझाव दिया गया। इसे NDC (राष्ट्रीय विकास परिषद्) द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
  • इस सुझाव को ही गाडगिल फॉर्मूला कहा गया।
  • वर्ष 1989-90 में गाडगिल फॉर्मूला में संसोधन किया। इस संशोधित फॉर्मूले को प्रणव-गाडगिल फॉर्मूला कहा गया।

1969 में गाडगिल फॉर्मूला द्वारा राज्यों को दो वर्गों में बाँटा गया –
(i)  विशेष श्रेणी का राज्य
(ii)  सामान्य श्रेणी का राज्य

विशेष श्रेणी के अंतर्गत 11 राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा जो अनुदान प्राप्त होता है, वो विशेष श्रेणी प्राप्त राज्यों के लिए अधिक होता है।

प्रणव गाडगिल फार्मूले की शर्तें निम्न हैं –

  • पड़ोसी राज्यों के साथ सीमा स्पर्श करती हो, जिसका सामरिक, राजनैतिक महत्त्व हो।
  • राज्य के वित्त की अव्यवहार्य स्थिति हों।
  • राज्य का आर्थिक स्तर व आधारभूत संरचना पिछड़ी हुई हो।
  • वह राज्य, जो पर्वतीय या दुर्गमीय भौगोलिक क्षेत्र हो। उक्त शर्तों को पूरा करने वाले राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा प्राप्त होगा। अन्य राज्यों को सामान्य श्रेणी में रखा जाएगा।

इस आधार पर NDC द्वारा कुल 11 राज्यों को विशेष श्रेणी के दायरे में रखा गया।

वर्ष 1969-70असम, जम्मू व कश्मीर, नागालैण्ड
वर्ष 1970-71हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा
वर्ष 1975-76सिक्किम
वर्ष 1986-87अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम
वर्ष 2001-02उत्तराखंड
  • इसी तरह विशेष श्रेणी का राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए राज्यों द्वारा मांग होने लगी। इसके समाधान के लिए रघुराम राजन समिति का गठन किया गया। इसके अंतर्गत COMPOSIT INDEX तैयार किया गया।
  • प्रत्येक राज्य का सूचकांक मान (0-1) रखा गया। इसके आधार पर राज्यों को तीन वर्गों में बाँटा गया –

(i)  अपेक्षाकृत विकसित राज्य

(ii)  कम विकसित राज्य

(iii) अल्पतम विकसित राज्य

    और इस तरह विशेष श्रेणी के राज्यों का दर्जा समाप्त कर दिया गया।

विश्व के प्रमुख संगठन एवं उनके मुख्यालय 

मौद्रिक नीति – उद्देश्य , समिति एवं प्रकार और उपकरण 

15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट

  • 15वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2020-21 (1 वर्ष में जारी हो गई है)
  • अंतिम रिपोर्ट जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया है, यह सार्वजनिक बजट में होगी।
  • 15वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को प्रस्तुत करना पड़ा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर व लद्दाख का विघटन किया गया और इसके लिए विशेष प्रावधान करने के लिए अंतरिम रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया।

⇒ इसकी सिफारिशें निम्न हैं –

  • कर विभाज्य पुल से राज्यों को हस्तांतरित किए जाने वाले राजस्व का प्रतिशत 42% से घटाकर 41% कर दिया गया व उस अतिरिक्त 1% का उपयोग जम्मू व कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन हेतु किया जाएगा।
  • कर विभाज्य पुल से राज्यों को हस्तांतरित 41% राजस्व को राज्यों के बीच विभाजित करने का फॉर्मूला।
  • राजस्व के क्षैतिज वितरण का फॉर्मूला कर राजस्व को 59% संघ व 41% राजस्व को राज्यों में बाँटना है।
  • 15वें वित्त आयोग द्वारा क्षैतिज अंतरण का आधार वर्ष 2011 की जनसंख्या आय दूरी, क्षेत्रफल, वनावरण, वन व पारिस्थितिकी, जनसांख्यिकी की निष्पादन व कर प्रयास को माना गया।

15वें वित्त आयोग द्वारा दिया गया अनुदान निम्नानुसार है –

(1)  राजस्व घाटा अनुदान

(2)  विशेष अनुदान

(3)  क्षेत्र विशिष्ट अनुदान

(4)  स्थानीय निकायों के लिए अनुदान

(5)  आपदा जोखिम अनुदान

(6) निष्पादन आधारित अनुदान

1. राजस्व घाटा अनुदान – इसके अंतर्गत 14 राज्यों का चयन किया गया व 74340 करोड़ रु. का राजस्व अनुदान दिया गया।

2. विशेष अनुदान – इसके अंतर्गत चयनित राज्यों की संख्या 3 थी – कर्नाटक, तेलंगाना, मिजोरम को विशेष अनुदान के रूप में 6764 करोड़ रु. दिए गए।

3. क्षेत्र विशिष्ट अनुदान – इसके अंतर्गत ऐसे राज्य आएंगे, जिनका पोषण, शिक्षा, न्याय, ग्राम, सड़क, पुलिस व स्वास्थ्य का विकास पूरी तरह नहीं हो पाया है उन्हें 7375 करोड़ रु. अनुदान दिया गया।

4. स्थानीय निकायों के लिए अनुदान – 73 वाँ व 74 वाँ संविधान संशोधन के अंतर्गत यह अनुदान दिया जाता है, जिससे कि स्थानीय निकायों का विकास हो सके। यह अनुदान 90,000 करोड़ रु. दिया गया। इसमें ग्रामीण क्षेत्र को 67.5% व नगरीय क्षेत्र को 32.5% हिस्सा दिया गया।

5. आपदा प्रबन्धन अनुदान –

(a)  वर्तमान में : NDRF (National Disaster Response Fund)

 (b)  नया बनेगा : NDMF (National Disaster Management Fund)

 (c)  वर्तमान में : SDRF (State Disaster Response Force)

 (d) नया बनेगा : SDMF (State Disaster Management Fund)

●   भारत में आपदा प्रबंधन अधिनियम वर्ष 2005 में बना।

  • NDMA : The National Disaster Management Authority ने इसकी सिफारिश की।
  • इनकी लागत वितरण दो भागों में होगी –

(i)  विशेष राज्यों में यह अनुपात (90 : 10) होगा व

(ii) सामान्य राज्यों के लिए यह अनुपात (75 : 25) होगा।

  • 28983 करोड़ रु. की मांग की गई।

6. निष्पादन आधारित अनुदान – इस अनुदान के अंतर्गत प्रोत्साहन के लिए अनुदान दिया जाता है। इसमें कृषि सुधारों, कार्यान्वयन, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, विद्युत, शिक्षा, निर्यात, पर्यटन आदि का विकास करना व इनको प्रोत्साहित करना।

  • राजकोषीय समेकन मार्ग को लेकर सुझाव दिया गया। इसमें FBRM अधिनियम के अनुसार राजकोषीय प्रबंधन को क्रियान्वित करें।

अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top