Major dances of India – आपने बहुत बार पेपर में भारत के प्रमुख नृत्य से संबंधित प्रश्न तो जरूर देखे होंगे जिसमे किसी नृत्य का नाम बताकर पूछ लिया जाता है की वह किस राज्य से संबंधित है तो आज की इस पोस्ट में हम आपको भारत के सभी राज्यों से संबंधित उनके नृत्यों के बारे में बताएंगे जिससे आप राज्य अनुसार उन्हें याद कर सकें यह नोट्स आपको सभी परीक्षाओं के लिए काम आएंगे इसलिए इन्हे एक बार पढ़कर अच्छे से जरूर याद कर लेवें
Major dances of India
भारतीय नृत्य शैलियों को सामान्यत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) शास्त्रीय नृत्य (2) लोक नृत्य
इन अधिकाशंत: नृत्य शैलियों का संबंध धर्म से रहा है जो प्राय: देवता के प्रति भक्ति व्यक्त करने के लिए किए जाते थे।
शास्त्रीय नृत्य
‘भरत मुनि का ‘’नाट्यशास्त्र’’ शास्त्रीय नृत्य पर प्राचीनतम ग्रंथ के रूप में उपलब्ध है।
‘’नाट्यशास्त्र ‘’ नाटक, संगीत, नृत्य का प्राचीनतम स्रोत है।
- भारतीय शास्त्रीय नृत्य की 8 शैलियाँ हैं –
शास्त्रीय नृत्य तांडव (शिव) और लास्य (पार्वती) दो प्रकार के भाव पर आधारित होते हैं।
भरतनाट्यम:-
इस नृत्य शैली का विकास तमिलनाडु में हुआ है।
भरत मुनि के नाट्यशास्त्र के अतिरिक्त नंदिकेक्ष्वर द्वारा रचित ‘’अभिनय दर्पण’’ भरतनाट्यम के तकनीकी अध्ययन हेतु एक प्रमुख स्रोत है।
मंदिरों में देवदासियों द्वारा प्रारंभ किए गए इस नृत्य को 20वीं शताब्दी में वी. बालासरस्वती, रुक्मिणी देवी अरुंडेल, ई. कृष्णा अय्यर के प्रयासों से इस पारंपरिक कला को संरक्षण मिला।
[रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने इस कला को प्रोत्सहित करने के लिए कलाक्षेत्र संस्थान की चेन्नई में स्थापना की]
भरत नाट्यम एकल स्त्री नृत्य है। सदिर भरतनाट्यम का प्राचीन नाम है।
प्रमुख कलाकार –
टी. बाला सरस्वती, रूक्मिणी अरुंडेल, सोनल मानसिंह, वैजयंतीमाल, हेमामालिनी, यामिनी कृष्णामूर्ति, स्वप्र सुंदरी, मृणालिनी साराभाई, आदि।
कथकली:-
कथकली केरल का प्रमुख परम्परागत लोक नृत्य है।
कथकली नृत्य, संगीत, और अभिनय का मिश्रण होता है।
यह एक मूकाभिनय नृत्य है जिसमें नृतक अपने हाथों एवं चेहरे के भावों द्वारा प्रस्तुति देता है।
इन नृत्यों के विषय पौराणिक महाकाव्य, रामायाण, महाभारत पर आधारित होते हैं, जिन्हें नृतकों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
इस नृत्य में नृतकों के चेहरों को रंग दिया जाता है जो एक मुखौटे का अभास देता है।
इस नृत्य में अधिकांशत: पुरुष ही महिलाओं की भूमिका निभाते हैं।
रामानट्टम – रामायण पर
आधारित नृत्य
कृष्णाट्टम – महाभारत या भगवान कृष्ण पर आधारित नृत्य
प्रसिद्ध कलाकार –
आनंद शिवरामन, कृष्णनकुट्टी, मृणालिनी साराभाई, बल्लतोल नारायण मेनन, उदयशंकर, कृष्ण नायर, शांताराव।
वर्ष 1930 में प्रसिद्ध कवि वल्लथोल नारायण मेनन और मुकुंद राजा ने कथकली के संरक्षण और पुनरुत्थान हेतु केरल कलामंडल की स्थापना की।
कथक:-
कथक शब्द का उद्भव कथा शब्द से हुआ है जिसका अर्थ होता है कथा कहना।
यह उत्तरी भारत में किया जाने वाला प्रमुख शास्त्रीय लोक नृत्य है।
15वीं और 16वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कथक नृत्य विशिष्ट विद्या के साथ विकसित हुआ।
कथक नृत्य के दो प्रमुख घराने हैं – जयपुर घराना, लखनऊ घराना।
अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह का काल कथक का स्वर्णिम काल था।
इस शास्त्रीय नृत्य में मुस्लिम संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है।
प्रमुख कलाकार –
बिरजू महाराज, लच्छु महाराज, सितारा देवी, शोवना नारायण, बिन्दादीन महाराज, अच्छन महाराज, मंजूश्री चटर्जी, कुमुदिनी लखिया, विद्या गौरी अड़कर।
मोहिनीअट्टम:-
मोहिनीअट्टम केरल पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य है।
पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय भस्मासुर के वध के लिए मोहिनी का वेष धारण करके यह नृत्य किया था।
यह स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला एकल नृत्य है जिसमें कथकली और भरतनाट्यम के कुछ तत्त्व शामिल होते हैं ।
भरतनाट्यम, ओडिसी और मोहिनीअट्टम नृत्य की उत्पत्ति देवदासी नृत्य से हुई है।
इस नृत्य को पुनर्जीवित करने का प्रमुख श्रेय वल्लाटोल नारायण मेनन को दिया जाता है।
प्रमुख कलाकार – कल्याणी कुटटी अम्मा (द मदर ऑफ मोहिनी अट्टम) कृष्णा पणिक्कर, सुनंदा नायर, स्मिता राजन, विजयालक्ष्मी, गोपिका वर्मा।
सुनंदा नायर मोहिनीअट्टम में मास्टर डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला हैं।
कनक रेले को मोहिनीअट्टम की प्रतिपादक के रूप में जाना जाता है। इन्होंने नालंदा नृत्य अनुसंधान की स्थापना की थी।
मणिपुरी नृत्य
मणिपुरी नृत्य शैली प्राचीन शास्त्रीय नृत्य शैली है। जिसकी उत्पत्ति पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से हुई है।
लाई हरोबा मणिपुर का प्रारंभिक नृत्य है जो सभी नृत्यों का आधार है।
मणिपुरी नृत्य का केंद्रीय विषय राधा – कृष्ण की प्रेम कहानियों पर आधारित होता है हालांकि अन्य विषयों को भी प्रदर्शित किया जाता है।
मणिपुरी संस्कृति भारतीय और दक्षिण पूर्वी दोनों संस्कृतियों का मिश्रण है जिसका प्रभाव इसके नृत्य में भी दिखाई देता है।
मणिपुरी नृत्य के दो भाग हैं –
- जगोई – रासलीला के लिए प्रसिद्ध, यह लास्य तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- चोलोम – यह शास्त्रीय नृत्य के तांडव तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।
लाई हरोबा त्योहार मणिपुर में अधिकाशंत: मैतई समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इसे देवताओं का उत्सव भी कहा जाता है।
प्रमुख कलाकार –
दर्शन झावेरी, गुरु बिपिन सिंह, निर्मला मेहता
झवेरी बहनें – नयना, रंजना, सुवर्णा
कुचीपुड़ी नृत्य:-
कुचीपुड़ी भारतीय – शास्त्रीय नृत्य शैली है जिसका नाम आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक गाँव कुचिपुड़ी के नाम पड़ा है।
17 वीं शताब्दी के वैष्णव कवि और दूरदर्शी सिद्धेंद्र योगी ने यक्षगान की कुचीपुड़ी शैली की कल्पना की।
माना जाता है कि सिद्धेन्द्र योगी ने स्वप्न में देखा कि भगवान कृष्ण उनसे उनकी रानी सत्यभामा हेतु पारिजात लाने की पौराणिक कथा पर नृत्य नाटक रचना करने का अनुरोध कर रहे हैं। अत: सिद्घेन्द्र योगी ने भामा कलापम् की रचना की तथा कुचीपुड़ी गाँव के ब्राह्मण लड़कों को अपनी रचना को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रमुख कलाकार –
इंद्राणी रहमान, वेम्पति चिन्ना सत्यम, राजा एवं राधा रेड्डी, यामिनी रेड्डी, कौशल्या रेड्डी, भावना रेड्डी
ओडिसी नृत्य:-
ओडिसी नृत्य भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों में से एक है जिसकी उत्पत्ति भारत पूर्वी तटीय प्रदेश ओडिशा के हिंदू मंदिरों से हुई है।
इस नृत्य को सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्यों में से एक माना जाता है जिसका उल्लेख हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, के पुरातात्विक महत्त्व के स्थलों से मिलता है।
इस नृत्य का ब्रह्मेश्वर मन्दिर के शिलालेखों और कोर्णाक मंदिर के शिलालेखों में उल्लेख मिलता है।
ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में महरिस संप्रदाय या देवदासी संप्रदाय था जो शिव मंदिरों में नृत्य करता था जो कालांतर में ओडिसी नृत्य के रूप में विकसित हुआ।
[कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण गंगा वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने करवाया था।]
ओडिसी नृत्य की तकनीकियाँ दो आधारभूत मुद्राओं – चौक और त्रिभंग के आस – पास निर्मित होती हैं ।
- चौक ® यह एक वर्ग (चौकोर) की स्थिति है जिसमें शरीर के भार के समान संतुलन के साथ एक पुरुषोचित मुद्रा है।
- त्रिभंग ® यह एक स्त्रियोचित मुद्रा है, जिसमें शरीर गले, धड़ और घुटने पर मुड़ा रहता है।
नृत्य का आरंभ मंगलाचरण से होता है जिसमें नर्तक / नर्तकी धरती माता को पुष्प अर्पित करती है।
प्रमुख कलाकार –
गुरु केलुचरण महापात्र ® इन्हें ओडिसी नृत्य का प्रवर्तक माना जाता है इन्होंने ओडिसी नृत्य शैली का आधुनिकरण और लोकप्रिय किया था।
सोनल मान सिंह, इलियाना सिटारिस्टी, माधवी मुद्गल, कुमकुम मोहंती, संजुकता पाणिग्रही, इंद्राणी रहमान, पंकज चारण दास, शेरोन लोवेन।
सत्रीया नृत्य:-
यह असम का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है।
यह संगीत, नृत्य तथा अभिनय का समिश्रण होता है।
इस नृत्य की उत्पत्ति असम के कृष्ण केंद्रित वैष्णव मठों से हुई जिसके विकास का श्रेय 15 वीं शताब्दी के भक्ति आंदोलन के विद्वान और संत शंकरदेव को दिया जाता है।
सत्रिया नृत्य को वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा शास्त्रीय नृत्य का दर्जा दिया गया।
शंकरदेव ने इसे अंकिया नाट के प्रदर्शन के लिए विकसित किया था। इसमें बोरगीतों का प्रयोग किया जाता है।
- बोरगीत ® संत शंकरदेव द्वारा रचित संगीतबद्ध रचनाओं का संग्रह है।
प्रमुख कलाकार
गुरु जतिन गोस्वामी, घनकांत बोरा, शारोदी सैकिया आदि।
भारतीय राज्यों के लोक नृत्य
आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)
कुम्मी नृत्य, घंटा मर्दाला, बुट्टा बोम्मालु ,
भामकल्पम, ढीमसा नृत्य, वीरनाट्यम, गोबी,
डांडरिया, बोनालू, माथुरी नृत्य ।
कुम्मी नृत्य:-
यह नृत्य भारत में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भी लोकप्रिय है।
इस लोकनृत्य में संगीत वाद्य नहीं होते हैं, इसमें ताल बनाए रखने के लिये प्रतिभागी तालियाँ बजाकर नृत्य करते हैं।
गोबी नृत्य:-
गोबी नृत्य आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों के लोकप्रिय नृत्य रूपों में से एक है।
माथुरी नृत्य-
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का प्रमुख नृत्य है।
यह मथुरी जनजातियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जो श्रावण माह में वर्षा के दौरान किया जाता है।
डांडरिया नृत्य –
डांडरिया नृत्य, रंग-बिरंगे परिधानों में सजे पुरुष नर्तकों का एक समूह नृत्य के दौरान आस-पास के गाँवों का दौरा करता है, जहाँ उनका दिल से स्वागत किया जाता है।
वीरनाट्यम
वीरनाट्यम आन्ध्र प्रदेश के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। भगवान शिव से सम्बन्धित वेद-पुराण से ली गयी कहानियों पर आधारित यह नृत्य अत्यन्त प्रचलित लोक नृत्य है।
बुट्टा बोम्मालु नृत्य-
इस नृत्य में नर्तक सिर और कंधों पर विभिन्न मुखौटे पहनता है। इस नृत्य को मुखौटा नृत्य भी कहा जाता है।
ढीमसा नृत्य –
ढीमसा नृत्य की वेशभूषा विशिष्ट जनजातीय कपड़े की है। यह नृत्य 15-20 महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य में आठ अलग-अलग श्रेणियाँ हैं।
असम (Assam)
बिछुआ, नटपूजा, नागानृत्य, बिहू, बागुरुम्बा, झुमुरा।
बिछुआ नृत्य-
बिछुआ एक आदिवासी क्षेत्र है। इस नृत्य में रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति मुख्यत: बच्चों के द्वारा की जाती है।
बागुरुम्बा नृत्य –
बागुरुम्बा नृत्य असम का लोक नृत्य है, जो बोडो जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
बिहू नृत्य –
बिहू एक समूह नृत्य है, जिसमें पुरुष और महिलाएँ एक साथ नृत्य करते हैं। मुख्यतः अप्रैल माह में मनाये जाने वाले सालाना बिहु जलसे में यह नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
झुमुरा नृत्य:-
झुमुरा नृत्य असम के आदिवासी या चाय जनजाति समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)
मुखौटा , बुइया, पोग नृत्य वांचो, लायन एंड पीक, बार्डो छम, रिखमपाड़ा।
बुइया नृत्य:-
बुइया लोक नृत्य दिगारू मिश्मी जनजाति से संबंधित है।
रिखमपाडा नृत्य:-
रिखमपाडा नृत्य निशि जनजाति का प्रमुख नृत्य है।
यह एक महिला नृत्य है।
बिहार (Bihar)
जट – जटिन, पावंरिया, बिदेसिया, कजरी, छऊ, करमा, धोबिया, जोगिया, झिझिया, झरनी, पाइका जुमरी।
बिदेसिया नृत्य:-
बिदेसिया वास्तव में एक प्रकार का नाटक है, इसके जनक भिखारी ठाकुर हैं। भिखारी ठाकुर को भोजपुरी साहित्य का शेक्सपियर कहा जाता है।
जट – जटिन:-
जट-जटिन नृत्य को युगल नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य का मूल विषय जट और जटिन की प्रेम कहानी है।
छत्तीसगढ़ (Chhatishgarh)
पंथी नृत्य, राउत नाच, सुआ नृत्य, करमा नृत्य, चंदेनी नृत्य, पंडवानी नृत्य।
पंडवानी नृत्य:-
पंडवानी नृत्य छत्तीसगढ़ का एकल नाटय है। पंडवानी का अर्थ है पांडववाणी – अर्थात पांडवकथा, महाभारत की कथा। पंडवानी छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जाने वाला लोक गाथागीत है।
पंथी नृत्य:-
पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में बसे सतनामी समुदाय का प्रमुख नृत्य है।
राउत नाच:-
राउतनाच, यादव समुदाय का दीपावली पर किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है। नृत्य में दोहे गाये जाते हैं।
गोवा (Goa )
फुगंडी, दकनी (Deknni) नृत्य, धनगरी गजा नृत्य, गौफ नृत्य, कोरेडिन्हो, कुनबी
धनगरी गजा नृत्य:-
धनगरी गजा नृत्य महाराष्ट्र और गोवा के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य शोलापुर ज़िले की गडरिया जाति के लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें ‘धनगर’ कहते हैं।
फुगडी नृत्य :-
फुगडी नृत्य सबसे लोकप्रिय नृत्य है, जो महिलाओं द्वारा धार्मिक त्योहारों के दौरान किया जाता है।
गुजरात (Gujrat)
गरबा, डांडिया, तिप्पनी, रासलीला, पणिहारी, भवई।
गरबा:-
गरबा गुजरात का एक लोकप्रिय लोकनृत्य है और भारत के सभी हिस्सों में प्रदर्शित किया जाता है। नवरात्रि के समय, यह नृत्य पूरे नौ रातों में किया जाता है।
डांडिया:-
डांडिया नृत्य को लोकप्रिय नृत्यों में से छड़ी नृत्य के रूप में जाना जाता है। इस नृत्य में इस्तेमाल की जाने वाली लाठी को देवी दुर्गा की तलवार माना जाता है।
भवई नृत्य:-
भवई नृत्य को भावनाओं का नृत्य माना जाता है। इस नृत्य में नर्तक अपने सिर पर 7 से 9 पीतल के घड़े को संतुलित करते हैं। यह राजस्थान और गुजरात में सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
हरियाणा (Haryana)
झूमर नृत्य, फाग नृत्य, डफ नृत्य, धमाल नृत्य, खोरिया नृत्य, गुग्गा नृत्य, लूर नृत्य, छठी नृत्य, सांग डांस।
फाग नृत्य:-
फाल्गुन के महीने में किसान द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
गुग्गा नृत्य:-
संत गुग्गा के भक्तों ने इस नृत्य का नाम गुग्गा रखा। हरियाणा का यह पारंपरिक लोक नृत्य, जिसे गुग्गा नृत्य कहा जाता है, विशेष रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह संत गुग्गा की स्मृति में निकाले गए जुलूस में किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh )
नाटी, थोडा, डांगी, कडथी, छम, बुडाह, कयांग, राक्षस नृत्य।
नाटी नृत्य:-
नाटी नृत्य इस राज्य का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह संगीतकारों के साथ लोगों के एक समूह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। नृत्य समूह में पुरुष और महिला दोनों सम्मिलित होते हैं, जिसका नेतृत्व प्रायः चँवर पकड़े हुए एक पुरुष करता है।
झारखंड (Jharkhand)
झुमर नृत्य, छऊ नृत्य, पाइका नृत्य, डोमकच नृत्य, करम नृत्य, हंटा नृत्य, फगुआ नृत्य
पाइका नृत्य:-
पाइका नृत्य में मार्शल आर्ट की उच्च स्तर की भागीदारी होती है। नर्तक एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में ढाल लिए होते हैं।
छऊ नृत्य:-
छऊ नृत्य, झारखंड का पारंपरिक लोक नृत्य, अपनी शक्तिशाली चाल और विशिष्ट मुखौटों के लिए प्रसिद्ध है। यह नृत्य शैली मुख्यतः रात में खुले मैदान में की जाती है।
कर्नाटक (Karnataka)
यक्षगान, डोलू कुनिथा नृत्य, वीरगासे, बिलालता, कृष्ण पारिजात नागमण्डला, जूडू हैली।
यक्षगान नृत्य:-
यक्षगान कर्नाटक का एक लोक रंगमंच रूप है, जोकि संस्कृत रंगमंच या नाटक की कई परंपराओं से संबंधित एक प्राचीन कला का अनुकरण है।
कृष्ण पारिजात:-
कर्नाटक में कृष्ण पारिजात एक लोकप्रिय लोक धार्मिक नाट्य रूप है।
वीरगासे नृत्य:-
वीरगासे नृत्य दशहरा उत्सव पर किया जाता है। यह श्रावण और कार्तिक के महीनों के दौरान बेहद लोकप्रिय है।
केरल (Kerla)
काकर्सी काली, दप्पू काली, सर्पम कुतल, कवादीयोहम, वेला काली, थम्पी थुल्लल, कडुवा, मार्गमकली कुमति।
दप्पू काली:-
दप्पू नृत्य में ‘वाद्य यंत्र’ दप्पू का प्रयोग किया जाता है। यह मालाबार के मोपलाओं का एक समूह – नृत्य है।
लक्षद्वीप (Lakshadweep)
कोलकली, लावा, परीचकली।
लावा नृत्य:-
लावा नृत्य मुख्य रूप से लक्षद्वीप के पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। यह शब्द संगीत और लय के अनुसार भावों को दर्शाता है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh )
जवारा, मटकी, सैला, लहंगी, कांगड़ा नृत्य, मुरिया नृत्य, बारदी नृत्य, अहिरी नृत्य, फूलपाटी नृत्य।
मटकी नृत्य:-
महिलाओं द्वारा विभिन्न अवसरों पर ‘मटकी’ नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। यह ‘मालवा’ का एक सामुदायिक नृत्य है।
महाराष्ट्र (Maharashtra)
लावणी, कोला, डिंडी, कोली, तमाशा, धनगरी गाजा, लैजिम, पोवाडा, नकटा, गफा।
लावणी नृत्य:-
लावणी पारंपरिक नृत्य और गीत का मिश्रण है, जो मुख्य रूप से ‘ढोलक’ की थाप पर किया जाता है। इस लोक नृत्य को नौ गज साड़ी नामक 9 गज की साड़ी पहनने वाली सुंदर महिलाओं द्वारा निष्पादित किया जाता है।
पोवाडा नृत्य:-
इस नृत्य में छत्रपति शिवाजी के जीवन को दर्शाया गया है।
मणिपुर (Manipur)
लाई हरोबा, पुंग चोलोम, खंबा थाबी, नूपा नृत्य, रासलीला, जागोई, थागंटम, डोल चोलम, मार्क नृत्य।
पुंग चोलोम:-
पुंग चोलोम ध्वनि और आंदोलन के संयोजन के साथ कला का रूप है। इसमें नर्तक खुद मृदंगा (पुंग) बजाते हैं।
मेघालय (Meghalaya)
डोरेगाटा नृत्य, लाहो, नोगक्रेम, बेहदीनखलम, वांगला, शादसुक।
लाहो नृत्य:-
लाहो नृत्य में महिला और पुरुष दोनों भाग लेते हैं। महिलाएँ आमतौर पर रंगीन परिधान के साथ सोने और चांदी के आभूषण पहनती हैं।
नोंग क्रेम नृत्य:-
नोंग क्रेम नृत्य खासी जनजाति द्वारा किया जाता है। यह पाँच दिनों तक चलने वाले नोगक्रेम नृत्य उत्सव का एक भाग है।
वांगला नृत्य:-
वागंला नृत्य को फेस्टिवल ऑफ 100 ड्रम्स के रूप में भी जाना जाता है। यह सूर्य भगवान के सम्मान में मनाया जाता है।
मिजोरम (Mizoram)
चेराव नृत्य, खुआलम नृत्य, छेह लाम नृत्य, सांवलिया नृत्य, चैलम, तेलगंम नृत्य, पार लैम, सरलामकाई नृत्य।
चेराव नृत्य:-
चैराव नृत्य को बांस नृत्य’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसको प्रदर्शित करने के दौरान बांस का प्रयोग किया जाता है।
नागालैंड (Nagalaad)
चांग लो, मोदस, रेग्मा, मयूर नाच, मोयनाशो, जेलियांग नृत्य, कूकी नृत्य, लेशालुत, खम्बा लिम, तितली नृत्य, अग्रिशुकुला।
महत्त्वपूर्ण तथ्य:-
जेलियांग नृत्य, जेलियांग नागा जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
चांग लो, चाग जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
ओडिशा (Odhisha)
घुमुरा नृत्य , पाला, डस्कथियो, डालखाई नृत्य, छाऊ नाच, बाघा नाच, कर्म नाच, ढप नृत्य, गोटी पुआ, डंडारी, मुणरी।
घुमुरा नृत्य:-
घुमुरा नृत्य पहले कालाहांडी राज्य में एक दरबारी नृत्य के रूप में मनाया जाता है। प्राचीन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह देवताओं और राक्षसों का युद्ध नृत्य है।
पाला नृत्य:-
यह नृत्य सत्यपीर पंथ से जुड़ा है। ओडिशा के लोग पाला के विषय में दृढ़ता से विश्वास करते हैं।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh )
रासलीला, नौटंकी, चरकुला नृत्य, पाई डण्डा, राई, ख्याल, धोबिया राग, कर्मा।
चरकुला नृत्य:-
यह उत्तर प्रदेश का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो राज्य के ब्रज क्षेत्र में व्यापक रूप से किया जाता है। इस प्रदर्शन में, विभिन्न चरणों में नृत्य करते हुए घूंघट वाली महिलाएँ अपने सिर पर एक बड़े बहु-स्तरीय परिपत्र लकड़ी के पिरामिड को संतुलित करती हैं।
उत्तराखंड (Uttrakhand)
चौंफला, थड़िया, तांदी, झुमैलो, छोलिया, छपेली, पांडव नृत्य।
छोलिया नृत्य:-
छोलिया कुमाऊं, उत्तराखंड का सबसे जाना-माना लोक नृत्य है। इस विधा में छोलिया नर्तक टोली बनाकर नृत्य करते हैं।
पश्चिम बंगाल (West Bengal)
काढी, गम्भीरा, ब्रिता नृत्य, जात्रा बाउल, मरसिया, कीर्तन, छऊ, संथाल, लाठी
गम्भीरा नृत्य:-
गम्भीरा नृत्य बंगाल के प्रसिद्ध भक्ति लोक नृत्यों में से एक है।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir)
हिकत, मंदजाल, कूद दांडी नृत्य, दमाली, रऊफ, दमहल।
रऊफ नृत्य:-
रऊफ एक लोक नृत्य है जो मुख्य रूप से कश्मीर घाटी की महिलाओं द्वारा किया जाता है। जिसका आयोजन वसंत ऋतु में स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
कुद नृत्य:-
कश्मीर के सबसे लोकप्रिय लोक नृत्यों में से एक है और यह बरसात के मौसम के दौरान किया जाता है।
लद्दाख (Ladakh)
शोंडोल, शॉन , छाम नृत्य, चाम नृत्य, जबरो नृत्य।
शोंडोल नृत्य:-
यह एक प्रसिद्ध नृत्य है जो कलाकारों द्वारा लद्दाख के राजा के लिए किया जाता है।
दमन और दीव (Daman & Diu )
मंण्डो, वर्दी गाओ, वीरा
पुडुचेरी (Puducheri)
गराडी (Garadi)।
पंजाब (Punjab)
भांगडा, झूमर, गिद्धा, धूमल, डफ, धमान, नकूला, लुड्डी, जूली, धनकरा, सम्मी, किकली, जागो, तीजन, बागा।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य:-
भांगडा नृत्य बैसाखी के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। झूमर नृत्य पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह धीमा तथा लयबद्ध नृत्य होता है। जूली एक धार्मिक नृत्य है, जो पीर और गायन से जुड़ा हुआ है। धनकरा नृत्य को गतका नृत्य भी कहा जाता है।
राजस्थान ( Rajasthan)
पणिहारी, कालबेलिया, घूमर, तेरहताली, चरी, कठपुतली, भवई।
कालबेलिया नृत्य:-
कालबेलिया नृत्य राजस्थान में कालबेलिया जनजाति द्वारा किया जाता है।
इसे वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठनों (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सूची में शामिल किया गया था।
घूमर नृत्य :-
घूमर राजस्थान का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है जो राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करता है और इसे राजस्थान की जनजातियों के लिए नारीत्व का प्रतीक कहा जाता है।
सिक्किम (Sikkim)
चू फाट, मैरून नृत्य, सिकमारी, शेरपा नृत्य, याक प्लाम, डेनज़ोंग नेह-ना, घंटू नृत्य।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
चू फाट नृत्य सिक्किम के लेप्चा समुदाय का एक प्राचीन नृत्य है, जो कंचनजंगा और उसकी चार सहयोगी चोटियों के सम्मान में किया जाता है।
सिक्किम का शेरपा नृत्य एक अनोखी नृत्य शैली है।
घंटू नृत्य एक सिक्किमी लोक नृत्य है जिसे राज्य के गुरुंग समुदाय द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
तमिलनाडु (Tamilnadu)
कुम्मी, कौलट्टम, कावडी आट्टम, काई सिलबट्टम, मायिल अटाम, ओयिलट्टम, देवरत्तम, पोइक्कल कुदिराई अट्टम।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
काई सिलंबट्टम लोक नृत्य अम्मान उत्सव या नवरात्रि उत्सव के दौरान मंदिरों में किया जाता है।
ओयिलट्टम लोक नृत्य पुरुषों द्वारा भगवान सुब्रमण्य और उनकी पत्नी वल्ली की पौराणिक कहानियों को सुनाने के लिए किया जाता है।
तेलगांना (Telangana)
पेरीनी शिवंतांडवम्, गुसादी, ढिम्सा, लंबाडी नृत्य, डप्पू।
पेरीनी शिवंतांडवम्:-
इसे पेरिनी थंडवम नृत्य भी कहा जाता है यह नृत्य शैली भगवान शिव से जुड़ी है। इसे आमतौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसे ‘योद्धाओं का नृत्य’ भी कहा जाता है।
त्रिपुरा (Tripura)
होजागिरी, गरिया, बिज़ू नृत्य, लेबांग बूमानी नृत्य।
महत्त्वपूर्ण तथ्य:-
गरिया नृत्य ‘गरिया पूजा’ का एक अनिवार्य हिस्सा है। गायन और नृत्य के माध्यम से पवित्र देवता की पूजा की जाती है।
होजगिरी नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाने वाला प्रमुख नृत्य है जो होजगिरी त्योहारों के अवसर पर किया जाता है।
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